एक पुराने मौसम का झोंका मिलने आया
एक पुराने मौसम का झोंका मिलने आया
अपने पंख पर कई पुरानी यादों को साथ बांध लाया
कागज़ की वो कश्तियाँ जो बहा दी थीं कभी बचपन में
उन पुरानी, खोई कश्तियों का पयाम लाया
बारिश का वो पानी सूख गया था
कश्तियाँ किसी सूखे किनारे पर लगी थीं
उन सूखे किनारों को फिर गीला कर आया मैं
बहा दीं फिर से वो कश्तियाँ वक़्त की धार में
उम्मीद है के जिंदगी के किसी पड़ाव पर फिर से मिलेंगे
गर साथ अलग कर दे वक़्त की धार तो क्या हुआ?
मिलने का वादा किया है तो वादा निभाएंगे जरूर
जमीं पर मिले तो ठीक वरना समंदर में मिलेंगे जरूर