बारिश की मिट्टी और एक ख़्वाब


मिट्टी की वो खुशबू बहुत पसंद है मुझे

जब वो तेज़ हवाओं के साथ बारिश का पहला झोंका आता है

दूर पुराने उस बरगद की लटें झूमते हुए देखता हूँ

मेरा और तुम्हारा बचपन याद आता है

तुम्हें तो याद ही हो गा ना,

क्या कहा? याद नहीं तुम्हें?

मेरे पास आओ, यहाँ बैठो

देखो उस बरगद की ओर, मेरी निगाहों से

क्या दिखा तुम्हें वो झूला?

देखो किस तरह मैं तुम्हारी आँखों पे आने वाले बाल हटा रहा हूँ

देखो कितने प्यार से तुम्हें झुला रहा हूँ

देखो बारिश से तुम्हे बचा रहा हूँ

क्या अब भी याद नहीं आया तुमको?

कैसे आएगा ! तुम तो एक ख़्वाब हो

तुम हो

बस यूँ ही हो